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Showing posts from April, 2021

Hanuman bhashya part-5 by (Acharya kashyap)

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सुंदरता -कुरूपता  कंचन बरन बिराज सुबेसा।  कानन कुण्डल कुंचित केसा।। आपका रंग कंचन जैसा है।  सुन्दर वस्त्रो से तथा कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से आप  सुशोभित हैं।  तुलसीदासजी ने सर्व प्रथम अपने गुरु की वंदना की फिर बल बुध्दि और ज्ञान गुण का सागर कह कर हनुमान जी की गुण गान किया अब उनके व्यक्तिगत रूप पर आ गए हैं।  हाला की हनुमानजी ने अपने विषय में स्वयं कहा हे की हमारा रूप ऐसा है जो प्रात: काल हमारा नाम लेलेगा उसे भोजन नहीं मिलेगा।  प्राप्त नाम जो लेहीं हमारा। जो दिन तहिं न मिलहिं अहारा।। इसलिए उनके रूप का नहीं गुणों का वर्णन किया गया हैं।  अमेरिका के विज्ञानिको का नवीनतम शोध भी आया की जो लोग सुन्दर नहीं होते बल्कि कुरूप होते है उनमे परमात्मा कहीं न कहीं ऐसी प्रतिभा दे देता है ऐसी छमता दे देता हे की वह अपने प्रतिभा व क्षमता से लोगो को प्रभवित कर देता है।  जिसका शरीर सुन्दर होता है लेकिन प्रतिभा की कमी होती है उसका भी चुनाव कर लिया जाता है क्यों की उसकी व्यक्तिगत पर्सनेलिटी काम कर जाती है। लेकिन शोध से ये निष्कर्ष भी सामने आया की जितने प्...

Hanuman bhashy part 4 by (Acharya kashyap)

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,सुमित के संगी बजरंगी , हे बजरंगबली ! आप महावीर और वसिष्ट पराकर्मी हैं।  आप दुर्बुध्दि को दूर करते हैं और अच्छी बुध्दि वालों के सहायक हैं।    वीरों में वीर महावीर इन्हें कह रहे हैं तुलसीदासजी।  न रावण को मारा , न कुम्भकरण को , केवल छोटे -छोटे राक्षसों को मारा , फिर कैसे ये महावीर हुए : तुलसीदासजी यह भी कहते हैं - ,सुमिरि पवनसूत पावन नामु।  अपने बस करि राखे रामु।। जिन रामजी ने सभी राक्षसों का वध किया है उन्हीं रामजी को इन्होंने अपनी भक्ति से , अपनी सेवा से , अपने पराकर्म  से अपने वश में कर लिया है इसलिए इन्हें महावीर कहा जाता है।   ,महाबीर बिक्रम बजरंगी , ये महावीर तो हैं , पर बजरंगी भी हैं।  बजरंगी यानी इनका अंग -अंग वज्र की तरह है।  जो प्रहार करेगा वही  धराशायी हो जाएगा।  हनुमानजी सतत परिश्रम करते हुए रामकाज में निरंतर लगे रहते है।  आप भी जितना परिश्रम करोगे उतना ही आप की शरीर वज्र की तरह हो जायेगा।  सोते रहने से नहीं बनेगा।  हनुमानजी को कभी सोते हुए दिखाया गया हैं।  जितना सेवा करोगे परिश्रम करोगे सुमिरन क...

Hanuman bhashya part 3 by (Acharya kashyap)

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  अंजनिपुत्र रामदूत  रामदूत अतुलित बल धामा।  अंजनिपुत्र पवनसुत नामा।। हे पवनसूत , अंजनीनन्दन  ! श्रीराम दूत ! इस संसार में आपके सामान दूसरा बलवान कोई नहीं है।    दूत किसे कहते हैं ? दूत उसे कहते हैं जो किसी संगठन , संस्था या देश का प्रतिनिधित्व करता है , जैसे राजदूत अर्थात फलाना राजा का दूत।  अभी राजा तो नहीं हैं पर राजदूत की पदवी है।  एक देश के दूत जब दूसरे देश में जाते हैं तो वहां के राजदूत कहलाते हैं।  राज दूत को कूटनिति , राजनीति , धर्मनीति , अर्थनीति सबका प्रशिक्षण दिया जाता है।  जिस राजदूत के चलते किसी देश से हमारा संबंध खराब हो जाता है।  उस राजदूत को दण्डित किया जाता है।  बहुत बड़ी जिम्मेवारी है यह।  राजदूत की बड़ी कीमत है।  राजदूत बहुत सोच समझकर बनाया जाता है ,  जो अपने देश  का दूसरे देशो से संबंध सुधार सके।  हनुमानजी भी भगवान रामके दूत हैं।  भगवान राम उनके गुरु भी हैं , वे जहाँ -जहाँ इनको भेजते हैं वे वहां -वहां उनका काम बनाते हैं।  जब काम बनाते हैं तो राम का रामत्व उनमें उतर आता ...

Hanuman bhashay -part 2 by (Acharya kashyap)

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 ,ज्ञान -गुण सागर, जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।  जय कपीस तिंहु लोक उजागर।। हे केसरीनन्दन! आपकी जय हो ! आपके ज्ञान और गुन  की कोई सिमा नहीं है।  हे कपिवर ! आपकी जय हो।  तीनों लोकों (स्वर्ग -लोक, भू-लोक और पताल लोक ) में आपकी कीर्ति उजागर है।  यहां हनुमान जी की प्रशंसा कर रहे हैं तुलसीदासजी।  जब तुम को किसी से काम कराना होता है तो तुम भी पहले उसकी प्रशंसा करते हो।  यदि किसी से काम लेना है और तुम उससे कह दो की तुम चोर हो , बदमाश हो , गुण्डा  हो , लफंगा हो फिर उससे अपना कोई काम करने के लिए कहो तो वह काम करेगा या मार कर भगा देगा।  चोर को भी कहना पड़ेगा आप तो महान हो।  साधु हो।  आप जैसा कोई साधु ही नहीं देखा आज तक लेकिन यहाँ तो हनुमान जी साधुओ के रक्षक हैं।  बाए भुजा असुर  मारे दाहिने भुजा संत जन तारे।। हनुमान जी असुरो को मारते है तो साधुओ की रक्षा भी करते है ,ज्ञानियों में भी अग्रगण्य  है।  बुद्धि मानो में भी आगे है।  शक्ति में भी आगे हैं।  अकेले ऐसे देवता हे जो भक्ति में अमर हैं।  पहले भी थे...

Hanuman bhasya by (Acharya kashyap) part 1.

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               'अर्थ श्री गुरु स्तुति महात्म्य' श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकरु सुधारि|| बरनउँ  रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि||  श्री महाराज  के चरण कमलो की धूलि से अपने मनरूपी दर्पण को पवित्र कर मैं श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूँ , जो चारो फल (अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष) देने वाला हैं |  तुलसी दास जी कह रहे हैं  कि 'श्री गुरु चरण' रूपी कमल की रज से अपने मन रूपी दर्पण (मुकुर) को साफ़ करके  मैं 'श्री राम' के विमल यश का वर्णन  कर रहा हूँ, जो इस सृष्टि में चरों फलों - अर्थ , धर्म,काम, मोक्ष का प्रदाता हैं।  तुलसी दास जी हनुमान चलिसा में  सर्वप्रथम 'श्री गुरु ' की चरण रज के प्रताप की और इंगित कर रहे हैं |  कह रहे हैं यह चरण रज 'श्री युक्त ' है|  एक 'श्री ' में  ही लक्ष्मी , दुर्गा सरस्वती तीनो की शक्ति समाहित है | अतः 'श्री गुरु' के चरण रूपी कमल की रज यदि मिल जाये तो मनरूपी दर्पण साफ हो जाए और आप बादशाह बन जाओ | बादशाह न बनने का कारन यह है | यह मन चंचल है, चोर है, विशुद...