Hanuman bhashy part 4 by (Acharya kashyap)
,सुमित के संगी बजरंगी ,
हे बजरंगबली ! आप महावीर और वसिष्ट पराकर्मी हैं। आप दुर्बुध्दि को दूर करते हैं और अच्छी बुध्दि वालों के सहायक हैं।
वीरों में वीर महावीर इन्हें कह रहे हैं तुलसीदासजी। न रावण को मारा , न कुम्भकरण को , केवल छोटे -छोटे राक्षसों को मारा , फिर कैसे ये महावीर हुए : तुलसीदासजी यह भी कहते हैं -
,सुमिरि पवनसूत पावन नामु। अपने बस करि राखे रामु।।
जिन रामजी ने सभी राक्षसों का वध किया है उन्हीं रामजी को इन्होंने अपनी भक्ति से , अपनी सेवा से , अपने पराकर्म से अपने वश में कर लिया है इसलिए इन्हें महावीर कहा जाता है।
,महाबीर बिक्रम बजरंगी , ये महावीर तो हैं , पर बजरंगी भी हैं। बजरंगी यानी इनका अंग -अंग वज्र की तरह है। जो प्रहार करेगा वही धराशायी हो जाएगा। हनुमानजी सतत परिश्रम करते हुए रामकाज में निरंतर लगे रहते है। आप भी जितना परिश्रम करोगे उतना ही आप की शरीर वज्र की तरह हो जायेगा। सोते रहने से नहीं बनेगा। हनुमानजी को कभी सोते हुए दिखाया गया हैं। जितना सेवा करोगे परिश्रम करोगे सुमिरन करोगे उसी से तुम्हारा शरीर वज्र होगा। लेकिन तुम अवसर पाते ही सो जाते हो तब तुम्हारा शरीर वज्र नहीं होगा , नपुंसक हो जाएगा। परिश्रमी बनो।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
सुमति अथार्त सद्बुध्दि। कुमति अथार्त कुबुध्दि। तुलसीदासजी यहाँ यही कह रहे है की हनुमानजी की तरह परिश्रम करोगे सेवा करोगे साधना करोगे इनकी संगत करोगे तो यह कुमति से निकाल कर सुमति प्रदान कर देंगे। बुरे लोग के संगत से तुम्हे निकल कर अच्छे लोगे का साथ पकड़ा कर देंगे। अच्छी संगति में अच्छा कार्य करोगे अपने जीवन में सफल हो जाओगे। सफलता का रहस्य ही अच्छे लोगो के साथ रहना है। बड़ी सिगरेट सराब पिने वालो का साथ पकड़ोगे तो यह पहले अपना पैसा खर्च करेंगे तुमको ले जा कर कहेंगे चलो में खिलाता हूं -में पिलाता हूं। महीना दो महीना ऐसा करेंगे। तुम कहोगे बड़ा हम पर खर्च कर रहा है। महीना दो महीना में जब तुमको आदत पकड़ जाएगी फिर यह तुमसे खर्च करवाने लगेंगे। यहीं संगत का असर हे संगत यदि अच्छी हे उच्य गति तक पंहुचा देती है संगत यदि बुरी है तो अधोगति में ला देती हैं। संगत का बहुत प्रभाव पड़ता है जब तुम्हारा भाग्य बिगड़ जायेगी तब तुम स्वयं बुरे लोगो का साथ पकड़ लोगे। जो बच्चा फैल होने वाला है दूसरे फेल होने वाले बच्चो की संगत ही पकड़ेगा। जो टॉप करने वाला हे यह वैसे ही प्रतिभाशाली बच्चो की संगत में मिलेगा। जो बहुत धनि बनाने वाला है या ऑफिस बनाने वाला है यह भी उन्नति सील लोगो का संगत पकड़ेगा। यदि तुम ऐसे व्यक्ति की संगत पकड़ लोगे जो रोज अपने भाग्य का रोना रोता है तो तुम्हारा भाग्य नहीं बनाने वाला है रोने वाले को अच्छे का साथ पकड़ा दो तो वह उसके साथ खींचते चला जाएगा।
संगत से गुण होत हैं। संगत से गुण जात।।
हम अक्सर शिलान्यास करने के लिए उदघाटन करने के लिए बडे -बड़े लोग को ही क्यों बुलाते है ? क्यों की जो बड़े पद पर है प्रतिष्ठित है सफलता प्राप्त कर चूका है उसके साथ से जो काम सुरु होगा उसमे हमको भी सफलता मिल सकती है इसलिए की उसकी सकारात्मक ऊर्जा वहां आ जाएगी उससे हम भी सफल हो जायेगे। इसीलिए मंगल कार्य में हम लोग अक्सर बड़े -बड़े लोग को बुलाते है। यही संगत का प्रभाव है। इसके विपरीत यदि तुम किसी कार्य के लिए गुंडा बदमाश को बुलाओगे तो उसका वैसा ही असर पड़ेगा। जब तुम जाने -अनजाने अच्छी संगत कर लोगे तो तुममे बदलाव आजायेगा। यदि गलत संगत कर लोगे फिर रात दिन कहोगे गुरूजी हमारे संग धोखा किया धोखा उन्होंने ने नहीं किया धोखा तो तुमने जान भुज कर खरीद लिया हैं मोल ले लिया हैं इसलिए हम कहते है अच्छी संगत में रहो। तुम रोज पाठ करते हो लेकिन समझ नहीं रहे हो। हनुमानजी का गुरु का गोविन्द का साथ पकड़ो तो तुम भौतिक जगत के साथ आध्यात्मिक जगत में भी अवश्य सफल हो जाओगे। इसे अपने जीवन में उतार कर देखो।
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