sab sukh nahai tumhari sarna - सब सुख लहै तुम्हारी सरना तुम रच्छक काहू को डर ना
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रच्छक काहू को डर ना।।
आपकी शरण में आने वाले व्यक्ति को सभी सुख प्राप्त हो जाते हैं और किसी प्रकार का भय नहीं रहता।
भक्ति और श्रद्धा जब आ जाएगी तो सब सुख तो स्वतः आ ही जाऐंगें। मैं सदैव कहता हूं - सकारात्मक सोचो,सकारात्मक करो , सकारात्मक हो जाओ। जब सकारात्मक हो गए तब दूसरे की चिंता छोड़ों , कौन - क्या कह रहा है , नाते - रिश्तेदार - पडोसी? तुम अपने तक सिमित हो जाओ। तुम्हारा फलाफल तुमको मिलने लगेगा। तुम अपने को नकारात्मक कर लेते हो तो दुःख - दर्द मिलने लगता है , यह तत्काल मिलने लगता है। जब भक्ति आ गयी , श्रद्धा आ गयी तब क्या आप सुख से वंचित रह सकते हो ? जब आप किसी से घृणा करते हो , गाली देते हो या किसी के प्रति बुरा सोचते हो तो उसका बुरा हो या न हो पर आपमें बुरे हारमोन का स्त्राव होने लग जाता है। जो आपमें रोग पैदा करता है। आपकी आभा , ऊर्जा घटने लगती है और आप स्वतः रोगी होने लगते हैं। वह रोगी हो या न हो आप रोगी होने लगोगे। आपसे ऐसी तरंगे निकलने लगेंगी की आपसे लोग घृणा करने लगेंगे। आपका शरीर जब छूटेगा वह नकारात्मक तरंग लेकर जाएगा , उसी के अनुसार वह उस लोक में चला जाएगा जिसे तुम नरक लोक कहते हो। न कोई ले जाने वाला है , न कोई आप को पकड़ने वाला है। यह ऐसा है जैसे राकेट चलता है। रॉकेट में कोई आदमी नहीं बैठा होता है उसमें ऐसी प्रणाली स्थापित कर दी जाती है की वह सीधे अपने गंतव्य स्थल पर पहुंच जाता है। पहुंचकर वह उपग्रह के माध्यम से सुचना देने लगता है की विश्व में कहां , क्या हो रहा है ? कोई आदमी उसमे कार्यरत नहीं हैं। वह केवल रिमोट से संचालित है। उसी तरह परमात्मा ने भी इस सृष्टि का रिमोट कंट्रोल हाथ में लिया है और तुम अपने कर्मो के फल से वैसी ही जगहों पर चले जाते हो। मान लो एक साथ एक परिवार के दस व्यक्ति मरते हैं तो यह मत समझो दसों एक ही लोक में जाएगें। वे अपनी - अपनी ऊर्जा के अनुसार विभिन्न लोकों में जाएंगे। दासों दस लोक में भी जा सकते हैं। कोई सर्वगलोक तो कोई नर्कलोक में चूंकि सबका अपना - अपना व्यक्तिगत खता है। करेंट एकाउंट , सेविंग एकाउंट , फिक्स डिपॉजिट सबका अपना - अपना है। यह मत समझना बापू जी जहां जाएंगे , मां भी वहीं जाऐंगी , सब अलग -अलग ऊर्जानुसार अपने गंतव्य पर पहुंच जाएंगे। अपनी ऊर्जा से कोई तुमको अलग नहीं करेगा, यह सब तुम्हारे अंदर प्रणाली स्थित है। जैसे जहाज में ब्लैक बॉक्स होता है , उसी तरह से तुम्हारे अंदर भी ब्लैक बॉक्स है। दिव्य गुप्त विज्ञान में हम यह बतातें हैं। जो भी तुम करते हो उसमें सब सुचना आ जाएगी और ऊपर जाकर सूक्ष्म शरीर से तुम अपने कर्मो को देखोगे की कब तुमने क्या किया। यहीं पर वह ब्लैक बॉक्स खुल जाएगा। अपनी भवनाओं को भी देखोगे। बिना कहे , बिना सुने तुम अपने को देखोगे ,सुनोगे। कहीं कोई ले जाने वाला नहीं हैं , न लाने वाला। सब अपने आप होता चला जाएगा। इसको तुम दिव्या गुप्त विज्ञान में ठीक से सिख लो , जान लो।
तुम रच्छक काहू को डरना।। हनुमानजी जिसके रक्षक हैं या गुरु जिसकी रक्षा करते हैं उसे तीनों लोक में किसी से डरने की जरुरत नहीं। तुम सूक्ष्मलोक में जाते हो तो वहां तुम्हारी आत्मिक मित्र हैं।इष्ट देवता भी मदद करते हैं ,जो जन्मों जन्म से तुम्हारे आत्मिक मित्र हैं। वे भी तुम्हारी मदद करने आते हैं। चूँकि इस शरीर से जाते हो संसार ही सत्य समझ लेते हो , वहां भी तुम बेहोश होने लगते हो ,वहां भी तुम रोग - दुःख में फसते हो ,वहां भी तुम्हारा इलाज किया जाता है। हनुमानजी तुम्हारी यहां भी रक्षा करेंगे , वहां सूक्ष्म लोक में भी रक्षा करेंगे। उनसे कोई रहस्य छिपा नहीं है , न कोई लोक छिपा है। जितना यह लोक सत्य है , उससे ज्यादा वह लोक सत्य है। पहले भारतियों को ढोंगी कहा जाता था लेकिन तुमको यह जानकार आश्चर्य होगा की आज अमेरिका , इंग्लैण्ड जैसे देशों की पंद्रह यूनिवर्सिटी को इस विषय पर शोध में सफलता मिली है। अब तो ये लोग कहने लगे हैं की कुछ ही दिन में ऐसा संपर्क स्थापित का लिया जाएगा की तुम्हारे पितरों का फोन नं., दे दिया जाएगा। यहाँ से आप उस लोक में संपर्क स्थापित कर अपने पितरों से बात कर पाएगें। यह वैज्ञानिक खोज है , लेकिन आध्यात्म की खोज है की तुम्हारा तीसरा नेत्र यदि खुल जाए तो तुम यहाँ से बैठे -बैठे अपने पितरों को देख लोगे , बात कर लोगे।
सम्पूर्ण आत्मज्ञान awakeningspiritual.blogspot.com पर मिलेगा।
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