naase rog hare seb pira - नासै रोग हरै सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा

 नासै रोग हरै सब पीरा। 

जपत निरंतर हनुमत बीरा।।

हे हनुमानजी ! आपके नाम का निरन्तर जप करने से सब रोग नष्ट हो जाते हैं और सभी कष्ट भी दूर हो जाते हैं। 

तुलसीदासजी अपना अनुभव बताकर आपको भी प्रेरित करने का प्रयास कर रहे हैं की आप सब भी मेरी तरह अपने गुरु की भक्ति में लग जाएंगे तो आपके भी सारे पाप - ताप , रोग कष्ट नष्ट हो जाएंगे , उनका वे  हरण कर लेंगे।  रोग का कारण  नकारात्मकता  का भाव है जब यह भाव सकारात्मक हो जाता है ,परिवर्तित हो जाता है भक्त में बदल जाता है तब सभी रोग स्वतः नष्ट हो जाते हैं और सब पीड़ा स्वतः समाप्त हो जाती है।  यह तुलसीदासजी का स्वयं का अनुभव है वह अपने गुरु रूप हनुमानजी द्वारा प्रदन्त मंत्र के जाप में नरंतर लगे रहते हैं जिससे उनके सारे रोग कष्टों का हनुमानजी हरण कर लेते हैं। सृष्टि में बहुत प्रकार के रोग हैं।  शारीरिक रोग तो अस्पताल में ठीक हो जाएंगे लेकिन मानसिक रोगो का क्या होगा ? सूक्ष्म शरीर क्या होगा ? मानस शरीर का क्या होगा ? यह रोग बड़े भयंकर हैं।  सबसे पहले रोग तुम्हारे मन में आती है उसके आठ -दस वर्ष बाद वह स्थूल शरीर पर आती है इसलिए पहले तुम्हारे मानस शरीर का इलाज होना चाहिए।  मानसिक रोग निवारण होना चाहिए।  जब मानस शरीर निरोगी हो जाता है तब स्थूल शरीर पर कोई कष्ट नहीं है।  आत्मा को लेकर सात शरीर है।  सात शरीर धारण कर वह पर्दे में बैठा हुआ है।  सबसे बड़ा स्थूल शरीर है इसका कष्ट रोग इतना प्रभावित नहीं करता है जितना की तुम्हारे मन के अंदर मानस शरीर में जो रोग बैठ गया है वह प्रभवित करता है।  उस रोग के नाश के लिए कह रहे है नासै रोग हरे सब पीरा।  जपत निरंतर हनुमत बीरा , जब तुमपर हनुमानजी की कृपा रहेगी तो वह मानसिक रोग भी नहीं आएगा।  जब मानसिक रोग नहीं आएगा तब शारीरिक रोग भी नहीं आ सकता है।  जप सदैव मन से होता  हैं।  जो भी मानसिक जाप करता है वही बीर है।  उसे किसी तरह का कष्ट नहीं सताता है।  चुकीं अजपा निरंतर बना रहता है।   

सम्पूर्ण आत्मज्ञान awakeningspiritual.blogspot.com पर मिलेगा। 

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