jo yah padai hanuman chalisa - जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा होय सिद्धि साखी गौरीसा - hanuman chalisa padne se kya hota hai
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
गौरी के पति शंकर भगवान् ने यह हनुमान चालीसा लिखवाया इसलिए वह साक्षी हैं की जो इसे पढ़ेगा उसे निशचय ही सिद्धि प्राप्त होगी।
जो इस हनुमान चालीसा को जिस तरह मैंने बताया समझकर बूझकर पाठ करता है, होही सिद्धि साखी गौरीसा , वह साधक सिद्ध हो जाता है। यह गौरीसा कह रहे हैं गौरीसा यानि गौरी के ईस। यह स्थान ( सद्गुरु आश्रम डुमरी पड़ाव गंगा तट उत्तर प्रदेश ) गौरी का क्षेत्र है। गौरी का ईस यहीं है। वही कह रहा है , वह सिद्ध हो जाएगा। ;हमारे जीवन का सारा दुःख अपना है। हम हर चीज को अपने में बांधना चाहते हैं। यहीं से दुःख शुरू होता है। सारा दुःख सीमाओं का ही दुःख है। में पूरा नहीं हूं, अधूरा हूं। मुझे पूरा होने के लिए न मालूम कितनी - कितनी चीजों की जरुरत है। जैसे - जैसे चीजे मिलती जाती है, मैं पन का विस्तार होता जाता है अधूरा पन कायम ही रहता है। सब कुछ मिल जाने पर भी मैं अधूरा ही रह जाता है। जब तक मई किसी भी काम मैं दूसरे पर निर्भर हूं तब तक में परतंत्र हूं और परतंत्रता में आनंद नहीं हो सकता। अगर हम सारे दुखो का निचोड़ निकाले तो पाएंगे परतंत्रता। आनंद का सार मूल है - स्वतंत्रता। यह स्वतंत्रता है क्या ? मन को नियंत्रित करके अपनी इन्द्रियों का स्वामी बन जाना ही स्वतंत्रता है। अपने आत्मपद में स्थिर रहना ही स्वतंत्रता है। यही स्वतंत्रता मोक्ष है। यह निर्वाण है। यही कैवल्य ही है। यही है परम सिद्धि। तुलसीदासजी यहां इसी सिद्धि की बात कर रहें हैं। यह सिद्धि मिलती है गुरु की बताई विधि से। गुरु चरणों में अपनी मैं का सम्पूर्ण समर्पण कर देने पर गुरुभक्ति में उतरने पर। इसी सिद्धि को, गौरीसा, यानी गौरी के ईस अर्थात शंकर जी ने अपने मानस पुत्र हनुमानजी को राम रसायन के रूप में प्रदान किया जिससे वे रामत्व को उपलब्ध होकर सदा के लिए अमर हो गए। यह सिद्धि चार तरह से मिलती है
स्वयंसिद्धि - जिसने स्वयं को सिद्ध कर लिया वह भक्तो के हित के लिए करुणा वश धराधाम पर आता है। जैसे भगवान् कृष्ण।
वंशसिद्ध - सिद्ध माता पिता की संतान भी सिद्ध होती है। जैसे हनुमान जी।
वचनसिद्ध - यह पूर्णतः गुरु अनुकम्पा का परिणाम है मोक्ष मूलं गुरु कृपा। जैसे विभीषण जी।
साधन सिद्ध - यह अपने उद्यम से मिलती है। जैसे बुद्ध, महावीर। इनमे से वचन सिद्धि ही सहज सुगम है। तुलसीदासजी यहां इसी की बात कर रहें हैं। वह स्वयं अपने गुरु के भक्त हैं उनकी अनन्य अनुकम्पा से सिद्ध बने हैं इसलिए वह आपको भी इसी सिद्धि के लिए प्रेरित कर रहे हैं। तथा अपने भक्तो से भी कह रहे हैं , जो पढ़ै हनुमान चालीसा होय सिद्धि सखी गौरीसा। यह हनुमान चालीसा उनके गुरु की स्तुति है अतः यह गुरु के द्वारा उर्जावंतित है सिद्ध है यदि उनके शिष्य इसका पाठ करेंगे तो वह भी सिद्ध हो जाएंगे। वचन सिद्ध।
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Thank you for explained in well and got a very good knowledge here... .
ReplyDeleteश्री हनुमान चालीसा is the powerful Mantra to get rid of all problems..
hanuman chalisa ke fayde
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