Hanuman bhashya part-8 by (Acharya kashyap)
बिद्यावान गुनी अति चातुर।
रामकाज करिबे को आतुर।।
आप अत्यंत चतुर , विद्यावान और गुणवान है , आप सदा भगवान श्रीराम के कार्य करने को आतुर रहते हैं।
यहां हनुमानजी को विद्यावान कहा गया है, विदवान नहीं। रावण विदवान है , चार वेद, छह: शास्त्र का ज्ञाता है , लेकिन यहां तुलसीदासजी इन्हें विद्यावान कह रहे हैं। तुलसीदासजी स्वयं काशी के पंडित है , बड़े विद्वान् हैं लेकिन फिर भी इनको विद्यावान ही कह रहे हैं। क्यों , विद्यावान का क्या अर्थ है ? विद्यावान का अर्थ है -गुरु शिक्षा को मन से , वचन से , कर्म से , तीनो से जो अपने में उतार लेता है। उसे विद्वान कहा गया है। यहाँ पर इसी लिए हनुमानजी विद्यावान हैं। जब विद्यावान हैं तो अति चतुराई आ ही जाएगी। जो कहेंगे उसे ठीक मानना ही पड़ेगा। आप लोग पढते हो स्कूल में , कॉलेज में तो पढाई पूरी होने पर दीक्षांत समारोह होता है। दीक्षांत समारोह का अर्थ होता है जो अभी तक आप ने शिक्षा पाई है उसको अपने जीवन में उतार लो। शिक्षा अंत हुआ अब यहाँ से दीक्षा सुरु हुआ। यही है दीक्षांत समारोह। इसी से गुरुजन दीक्षा से जीवन की शुरुआत करते है। जब अपने पढ़ाई को , अपनी विदवता को जीवन में आप उतार लेते हो तब आप को कहा जाता है विद्यावान। जब आप विद्यावान हो जाओगे, सारे शिक्षाओ को अपने जिंदगी में उतार लोगे तब तुलसीदासजी कहते है -आप स्वयं राम काज करने के लिए आतुर हो जाओगे। विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।। अभी आप कहते कुछ हो , करते कुछ हो। विद्यावान वही कहेगा ,वही सोचेगा , वही करेगा। विदवान जो होगा ,रावण की तरह होगा। करेगा कुछ , कहेगा कुछ ,सोचेगा कुछ। सबकी बातें अलग -अलग होती है इसलिए विदवान मत बनो , विद्यावान बनो। जो तुम्हे आज्ञा दिया गया है वही सोचो , वही करो ,वही कहो। राम काज करिबे को आतुर तुलसीदासजी कह रहें है -हनुमानजी का अपना काज कुछ नहीं है , जो भी काज है , वह राम का ही काज है। राम काज करने हो हर पल आतुर रहतें हैं। लेकिन तुम्हे हर पल अपने ही काज की चिंता रहती है। तुम हरदम अपने काम के लिए ललाहित रहते हो , अवसर मिलते ही अपनी बात करने लगते हो , तो तुम स्वार्थी हुए न , इसलिए तुमको सफलता नहीं मिलती। हरदम अपने ही काम की चिंता में रहोगे , तो राम काज से वंचित रहोगे , तुम्हारा काम परमात्मा भी नहीं कर पायेगा। तुमको अपने जीवन में सफल होना है तो राम काज करो। जब राम का काज करोगे तो उसे चिंता होगी। जब तुम किसी की सेवा करने लगोगे , नौकरी करने लगोगे तो वह कितना दिन तुमको बिना तनख्वाह के रह लेगा , एक दिन तो यह सोचेगा ही की इसके लिए भी तो कुछ करना होगा। सोचने के लिए बाध्य होगा। भगवान कहते है की सभी ममता का सूत्र एकत्र कर मेरे पैर बांध दो।
सब करि ममता ताग बटोरी।
मम पद बाधी वर डोरी।।

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