Hanuman bhashya part - 15 by Acharya kashyap
सनकादिक ब्रह्मादिक मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
श्री सनतकुमार , श्री सनातन, श्री सनक, श्री सनन्दन आदि मुनि , ब्रम्हा आदि देवता ,शेषनागजी सब आपका गुणगान करते हैं।
जो आदमी परमात्मा का प्रिय हो जाएगा वह किसी और का अप्रिय नहीं हो सकता है। एक साधे सब सधे ,सब साधे एक जाए। हम लोग हजारो -हजार की साधना करतें हैं। एक नहीं सधता है। हनुमानजी ने एक राम साध लिया। पवन सूत सुमिरि पवन नामु ,अपने बस राखे रामु।। अपने बस में राम को कर लिया जब राम ही सब में हो गयें। सम्पूर्ण सृष्टि बस में हो गई एक परमपिता परमात्मा को परम पुरुष को साध लिया सृष्टि साध गई। सबको क्यों साध रहे हो। इसलिए कह रहे हैं , सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ,नारद सरद सहित अहीसा। सनकादिक ब्रह्मा मुनि तथा नारद सारद सभी इनका गुणगान कहते हैं। सारद यानी सरस्वती ,सारदा। जब सारदा ही गुणगान करेगी। सारदा हि विद्या की देवी हैं तब सारे ही गुणगान करेंगे। इसलिए कह रहे है एक गुरु गोविंद को पकड़ लो तो उसको साधने से सब सध जाएगा। हजारो को पकड़ो गे तो कोई नहीं सधेगा। जैसे पेड़ के मूल में तुम जल दोगे तब फल आयेगा। यदि हर पत्ते को जल दोगे तो पेड़ सुख जाता है। पेड़ का सीचन जड़ होगा तभी ये फलेगा ,फूलेगा।
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