Hanuman bhashya part-14 by Acharya kashyap
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहीं श्रीपति कंठ लगावैं।।
हजारों मुखो से तुम्हारा यशोगान हो। ऐसा कहकर श्रीरामचन्द्रजी ने आपको अपने हृदय से लगा लिया।
यहां राम कह रहे हैं - हनुमानजी !केवल मैं ही आपकी प्रशंसा नहीं कर रहा हूं , हजारों हजार लोग आपकी प्रशंसा कर रहे हैं। राम की सेना के हजारों लोग ,सब हनुमान की प्रशंसा कर रहें हैं। बाल्मीकि रामायण में आया है , एक बार भगवान् राम और लक्ष्मण दोनों को मेघ नाथ के द्वारा शक्ति बाण लगा तब सभी उदास चिंतित हो गए। सुग्रीव बोलें - अब क्या होगा ? कल तो रावण हमको भी मार जायेगा। जब राम लक्ष्मण ही घायल हो गए तो हमें कौन बचाएगा ? जामवंतजी विभीषण से बोले -अब युद्ध तो लगभग समाप्त ही हो गया। सुबह तो रावण आकर हम सबको समाप्त कर ही देगा। विभीषण जी आप पहले हनुमान जी का पता लगाए। वह कहते हैं आप पहले राम -लक्ष्मण की सुध लीजिये परन्तु जामवन्तजी कहते हैं - उन्हें छोड़िये पहले हनुमानजी का पता लगाए। हनुमानजी थोड़ी देर में आ जाते हैं। आकर जमावंतजी को प्रणाम करते हैं जामवंत कहते हैं -हनुमान तुम आ गये तो अब राम - लक्ष्मण तो बच ही जाएंगे। पवन सूत है। पवन जब मिल गया हवा जब मिल गई तो श्वास चलने लगता है। सृष्टि चलने लगती है। पृथ्वी पर पवन चलना बंद हो जाएगा तो सृष्टि रुक जाएगी। जामवन्तजी पवन की यह सामर्थ समझ रहें हैं अतः कह रहें हैं पवन सूत हनुमानजी जब तक हैं रामजी अवश्य बच जाएगें। इसलिए राम उनकी प्रशंसा में कह रहे हैं- सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। देखिये हनुमानजी सभी आप की प्रशंसा कर रहें हैं और ऐसा कह कर वे हनुमानजी को अपने हृदय से अपने कंठ लगा लेते हैं। अस कही श्रीपति कंठ लगावैं।। श्रीपति यानी लक्ष्मीपति। फिर श्री आ गया। जितना ॐ सनातन है उतना श्री सनातन है। ॐ आज्ञाचक्र से ध्वनित होता है। सहस्रार में गूंजता हैं। श्री मूलाधारचक्र से ध्वनित होकर आज्ञा चक्र तक आता है। इसलिए श्रीयंत्र बनाया जाता हैं। श्रीयंत्र की पूजा अष्टसिद्धि के लिए करते हैं प्रतिष्ठा के लिए करते हैं। श्री राम जय राम जय जय राम यह भी श्री से हीं आरम्भ होता है। श्री आप को ऐश्वर्य, प्रतिष्ठा, सम्मान ,पद ,सफलता सब कुछ प्रदान करता है। आपकी बिगड़ी बनाता है इसी से राम रसायन यज्ञ अत्यंत कीमती है।
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