charon jag partap tumhara - चारों जुग परताप तुम्हारा है प्रसिद्धि जगत उजियारा

चारों जुग परताप तुम्हारा। 

है प्रसिद्धि जगत उजियारा।।

आपका यश चरों युगों ( सतयुग , त्रेतायुग ,द्वापरयुग तथा कलियुग ) में विद्यमान  है।  सम्पूर्ण संसार में आपकी कीर्ति प्रकाशमान है।


हनुमानजी अमर हैं उनका प्रताप चारों युग में रहता है।  आठ अमर विभूतियों अश्वत्थमा , बलि , व्यास , विभीषण , परशुराम , कृपाचार्य , मार्कण्डेय मुनि  हनुमानजी भी है।  तुलसीदासजी ऐसा राम के विषय में रामायण में नहीं कह रहे है क्यों की राम का प्रताप केवल त्रेतायुग में हैं।  कृष्ण का प्रताप द्वापर युग में है।  विष्णु का प्रताप सतयुग में है।  हनुमानजी का प्रताप चरों युग में समान हैं।  सद्गुरु का प्रताप चरों युग में सामान रहता है क्योकि जब वेद नहीं था तब भी गुरु था।  पुराण नहीं था उस समय भी गुरु था।  गुरु  परमात्मा का नाम  स्मरण कराया।  गुरु ने ही  वेद - पुराण लिखा।  वही निति नियामक है।  उसका प्रताप चारों युग में  रहता है।  तुम वस्त्र की तरह केवल शरीर बदलते हो।  आत्मा के तल पर परमात्म भाव में तुलसीदासजी यह बायां कह रहे हैं।  दो तल होता है एक संसार का तल , एक परमात्मा के तल पर। जैसे भगवान् श्रीकृष्ण जब कह  रहे हैं मित्र अर्जुन , तो समझ लो संसार के तल पर कह रहे है लेकिन जैसे ही कहते हैं।- 

सर्वधर्मान परित्यज्य मामेकं शरणं वज्र। 

अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि माँ शुच:।। 

सब धर्मो को छोड़कर मेरी शरण आ जाओ तब अपनी शरण में आने के लिए नहीं कह रहे हैं , परमात्मा की शरण में  आने को कह रहे हैं।  अब वह परमात्मा बोल रहा हैं।  यहां तुलसीदासजी भी परमात्मा के तल पर कह रहे हैं , चारों युग परताप तुम्हारा, परमात्मा चारों युग में रहता है और जिस रूप में तुम चाहोगे उस रूप में वह उपस्थित हो जाता है। हनुमानजी का भी चारों युग में प्रताप है और यह बात सब जगत में प्रसिद्ध है , उजियारे की तरह फैली हुई है। नहीं जानते हो तो जान लो। 


सम्पूर्ण आत्मज्ञान awakeningspiritual.blogspot.com पर मिलेगा। 

 

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