bhut pichas nikat nahin aavai - भुत पिचास निकट नहीं आवै महाबीर जब नाम सुनावै
भुत पिचास निकट नहीं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
हे अंजनीपुत्र ! जो आपके महावीर नाम का जप करता है , भुत - पिचास जैसी दुष्ट आत्माएं उससे दूर ही रहती हैं।
यहां तुलसीदासजी भुत - प्रेत से नहीं डर रहे हैं। बल्कि साधना के मार्ग में और भी जो भुत हैं उनकी ओर इंगित कर रहे हैं। ये है काम क्रोध , मद , मोह ,लोभ ,अहंकार। ये सब वृत्तियाँ बहुत है। जब हनुमानजी का नाम सुना देंगे तब काम , क्रोध , मद , मोह ,लोभ ,अहंकार ये साड़ी वृत्तियाँ भागने लगेगी और साधक उस परमानन्द की समाधी में निरन्तर बैठा रहे गा जो तुम्हारे तथाकथित चिंतन है तुम्हारे अंदर जो दैत्य की भावना बानी हुई है उची नीची की भावना बनी हुई है हनुमानजी की कृपा से ये नहीं रहेगी। तुम्हारे अखण्ड समाधि में घंटो बैठने में सफलता मिलेगी। यह हनुमानजी की कृपा हो जायेगी। काम , क्रोध , लोभ ,मोह , अहंकार की वृत्तियाँ ही भुत है। लेकिन तुम लोग कहीं अकेले में जाते हो तो जपने लगते हो भुत पिचास निकट नहीं आवै। कहां साधु को भी भुत पकड़ता है। एस.पी को कोई चोर पकड़ले उसे एस. पी नहीं कहा जाएगा बर्खास्त कर दिया जाएगा। तुम साधु भी बन गए , परमात्मा के मार्ग पर भी चले गए , तुम्हारे भुत आएगा नजदीक ? हमारे सारे आश्रम भूतों के अड्डे पर बने हैं। मैं जब यहां आया तब यहां मर्डर होता था। जुआ खेला जाता था। आम आदमी इस तरफ देखता भी नहीं था। पुलिस घूमती थी। मैं भी उस विपरीत परिस्थिति में यहां आया। इन महात्मा को भी उस विपरीत परिस्थति में छोड़ा गया। आदमी दिन आते घबराता था। आज है कहीं भुत ? महात्मा को भुत नहीं पकड़ता है जिस महात्मा को भुत पकड़ने लगा या महात्मा खुद ओझा बन गया समझ जाओ वह जिन्दा प्रेत हो गया। महात्मा तो है नहीं , जिन्दा प्रेत है। जब आप भी गुरु अनुकम्पा से अपने आत्मा को प्राप्त कर लेते हैं तब महावीर बन जातें हैं। सारे भुत- पिचास भाग जाते हैं आप स्वयंभू बन जाते हैं।
सम्पूर्ण आत्मज्ञान awakeningspiritual.blogspot.com पर मिलेगा।
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