ant kaal raghubarpur jaai - अन्तकाल रघुबरपुर जाई जहां जन्म हरी भक्त कहाई
अन्तकाल रघुबरपुर जाई।
जहां जन्म हरी भक्त कहाई।।
आपके भजन के प्रभाव से प्राणी अन्त समय श्री रघुनाथजी के धाम जाते हैं। यदि मृत्युलोक में जन्म लेंगे तो भक्ति करेंगे और श्री हरी भक्त कहलायेंगे।
जिसने गुरु अनुकम्पा द्वारा भजन से राम को प्राप्त कर लिया उसकी जीते जी जन्मो - जन्म के सारे दुखो का नाश होगा और वह अंत काल रघुबर के पुर उस परमात्मा का पुर यानी , बैकुण्ठ , में जायेगा। यह आशवासन दे रहे हैं तुलसीदसजी वह भी लिखित। बुध्दपुरुष जो बुध्दत्व को प्राप्त हो जाता है रामत्व को प्राप्त हो जाते हैं , उन्हें अपने लोक ले जाने स्वयं परमात्मा आते हैं। बुध्दपुरुष सद्गुरु स्वामी आत्मा दास जी के भी जाने का समय जब आया तो वह साहेब वह परमात्मा वह परम पुरुष सवयं उन्हें लेने आया। ज्येष्ठ शुक्ल सप्तमी मंगलवार वि. स. २०३५ दी. १३ जून १९७८ प्रातः सात बजे वह बोले कुछ पूछना है तो पूछ लो में चलूंगा हजारो आंखोंवाला आया है ले जाने। डॉक्टरों ने बोला की उनको खून की कमी है। में खून देने को तैयार था ब्लड ग्रुप की जाँच हुई उनका ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव था। मेरा भी ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव निकल गया। में जीवन में पहली बार खून देने के लिए स्ट्रेचर पर लेटा पर लेने वाला ले तब तो। मेरा खून चढ़ने से पहले एक बार फिर उनकी खून की जांच हुई। इस बार उनका ब्लड ग्रुप आया बी निगेटिव। गुरुदेव बोले में खून किसी का नहीं लूंगा डॉक्टर आप जितना बार जांच करेंगे उतनी बार ब्लड ग्रुप बदल जाएगा सुनते हैं बी निगेटिव खून बड़ा कम होता है नहीं मिलता। देखत ही देखते अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारी और डॉक्टरों ने उन्हें घेर लिया। बी. एच. यु. हॉस्पिटल आश्रम बन गया जय गुरुदेव जय जय गुरुदेव की गूंज होने लगी। गुरु देव बोले - अब में चलूँगा मेरी सवारी आ गई है मेरी पालकी आ गई है वह हजारों आँखों वाला हजारों हाथो वाला हजारों कानो वाला स्वयं लेने आया है। बन्दगी कर रहा है। कह रहा है - स्वामी जी यदि आप का आदेश हो तो हम लोग चलते हैं कह रहा है - इस शरीर की अवधि समाप्त हो गई है अब में चलता हूं। सभी को साहीब बन्दगी। इतना कह कर वो लेट गए। शरीर निचे से ठंडा होने लगा। डॉक्टर एवं नर्स आक्सीजन इत्यादि लेकर किसी भी अनहोनी का सामना करने को तैयार थे परन्तु क्षण मात्र में स्वामी जी ने आँख बंद कर ब्रम्हरंध से प्राणवायु को निकाल दिया। सभी के देखते - देखते वे निर्वाण को उपलब्ध हो गए। रघुबीर के पुर चले गए जो रघुबीर के पुर चला जाएगा वह जब जन्म लेगा हरी भक्त ही कहलायेगा। स्वामी आत्मादास जी भी पूरा जीवन हरी भक्त कहलाये और जब वह पुनः पृथ्वी पर मानवता के कल्याण हेतु अवतरण लेंगे हरी भक्त ही कहलायेंगे। हनुमानजी भी हरी के भक्त है अमर है लेकिन अन्य सात अमर विभूतियों में केवल इन्ही के मंदिर सर्वत्र है केवल इन्ही की पूजा होती है इस पृथ्वी पर। हरी भक्त के रूप में ये प्रभु से भी ज्यादा पूजे जाते हैं।
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