राष्ट्र की आराधना। rastra ki aaradhna
सच्ची राष्ट्र की आराधना गणतंत्र दिवस राष्ट्र की आराधना का पर्व है। भूखंड, उस पर रहने वाले लोग, वहां की सभ्यता और संस्कृति मिलकर किसी राष्ट्र का निर्माण करती है, परंतु राष्ट्र की वास्तविक पहचान देश के नागरिकों से होती है। जिस देश के नागरिक जागृत होकर देश के योग क्षेम का ज्ञान रखते हैं, उस देश की एकता और अखंडता को कभी खतरा नहीं हो सकता। अतः गणतंत्र की सफलता के लिए राष्ट्र में विवेकपूर्ण जन का भागीदारी आवश्यक है। जिनमें सच्ची राष्ट्रभक्ति हो और जिन का चिंतन तुच्छ स्वार्थों के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्रमंगल के लिए हो। इसलिए राष्ट्र की संप्रभुता की रक्षा का भार केवल सैनिकों पर नहीं, बल्कि सभी नागरिकों पर होता है। जब देश का हर नागरिक सजग प्रहरी होगा, तभी सच्चे अर्थ में राष्ट्र की आरधना हो सकेगी। यजुर्वेद में कहा गया है, हम राष्ट्र के लिए सदा जागृत रहे। संत स्वामी रामतीर्थ कहते हैं, कन्याकुमारी मेरे चरण, हिमालय मेरा मस्तक है। मेरे केसों से गंगा यमुना निकलती है। विंध्याचल मेरी मेखला है। पूर्वोत्तर और पश्चिमोत्तर मेरी भुजाएं तथा कोरोमंडल एवं मालाबार मेरे पांव हैं। मैं संपूर्ण भार...